तेहिं क्षन राम मध्य धनुष तोरा ..
धनुष राम तोड़ते हैं._परसुराम आते हैं_चरों ओर हाहाकार मच जाताहै।
कहो जनक क्या कारन है,भारी भीड़ भाड़ क्यों है _
अभी शोर -सा कैसा था,अब वीरों मे छेडछाड़ क्यों है ?
जनक के कारन बताने पर परसुराम को भारी क्रोध आता है _
ऐ जनक बता तू शीघ्र मुझे ,यह धनुहा किसने तोडा है
किसने इस भरे स्वयंवर में सीता से नाता जोड़ा है
इसीबीच राम _नाथ शम्भू धनु भंजन हारा,होइहैं कोऊ इक दास तुम्हारा _कहकर परसुराम को प्रणाम करते हैं पर परसुराम जी आवेष मे कहते हैं _
सुनो राम सेवक वो है ,जिसका सेवा पर ही चित है
बैरी का जो काम करे,वो काट डालने काबिल है
_सुनहु राम जो शिव धनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु मोरा...
_सो बिलगाई विहाय समाजा नतु मारे जैहैं सब राजा
लक्षमण की शरारत से परसुराम का गुस्सा भड़क जाता है वे _
देख ओ रजा के लड़के ,तू मुह को नहीं सभालता है
मुझ जैसे क्रोधी के सामने ,क्यों आखें लाल निकलता है
श्री महादेव का महा धनुष ,जो पुरी पृथ्वी मैं जलहर है
इतना बड़ा प्रचंड चाँद यूं ही धनुहीं के समदर है
_तकरार तेज होती है _
_अरे नादान बालक तू कौन है ?
_सारा ब्रम्हांड सर पर धरे तू कौन है?
_ मैं छतरियों का काल हूँ
_तो मैं शास्स्त्रशाल हूँ
_अभी तू नादान बालक सुकुमार है
_नहीं ये बालक वीर रघुवंश कुमार है
_दूध मुहे बड़ों से हंसी छोड़ ,यह हंसना तुझे रुलाएगा
कर देगा दांत अभी खट्टे ,फरसा ओह स्वाद चाखायेगा
लड़के महलों मैं खेल -खेल क्योँ मुझसे लड़ के मरता है
मेरी क्रोधानल के आगे, किसलिए लड़कपन करता है
_राम की विनम्रता और एक बार काल से भी लड़ने की ललकार के बाद परसुराम राम के प्रति अपना आदर भाव व्यक्त करते हैं _राम रमापति कर धनु लेहु ,खैंचहु चाप मिटे संदेहू ....
__कर्वी की यह रामलीला लगभग १५०-सालों से उपर का सफर कर रही है._पहले तो परिवार मैं यह होता था की रामलीला अवसर पर सबलोग शामिल होते थे पर अब कहाँ ....जानें कहाँ गए वो दिन __ये जो यादें मैं आप से जी रहा हूँ ये लगभग ४०-४५ साल पहले यानि सन ६०-६५ के दौर की बातें हैं
__कर्वी की रामलीला अनुथानिक और संवाद प्रधान होती थी। दसहरा को रावण बध आगे कुछ दिन बाद राम की राजगद्दी । आगे के प्रसंग नहीं उठाते ...राजगद्दी के बाद नाटकों का सिलसिला चलता है । उस दौर मैं हमलोग वीर अर्जुन और कृष्णावतार [राधेश्याम कथावाचक के ] जरुर खेलते थे। रामलीला मैं राम,सीता के प्रात्र तो बच्चे [१३-१४ साल तक] ही निभाते और महिला पात्रों काम पुरूष करते.
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1 टिप्पणी:
puranee baton ka apna hee maja hota
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