गुरुवार, 20 नवंबर 2008

बॉम्बे...!




टूटी सपनों की बैसाखियाँ , तबियत हो गई हरी !

यार हमें ...जब से मिली बॉम्बे की नौकरी ! !


वाह !


इन दिनों ... मुस्कराइए मत ...!

मौसम सर्द है ...और सर्द है आसपास का माहौल __अजब - सी कशमकश ...अजब - सी बेचैनी ... अजब -सी साजिश __हर किसी को अपने इर्द - गिर्द होती महसूस हो रही है...हर कोई परेशान इस बात से है कि सामने वाले की मुस्कान या हंसी उसके ही कत्ल का सामान है । जब ऐसा आपको भी लगाने लगे तो ...? __इसका इलाज कहीं नहीं है... अगर है तो केवल आपके पास !