बुधवार, 11 मार्च 2009

तुम्हारे नाम के दोहे ....! _टिल्लन रिछारिया


गुलमुहर की डाल पर सिंदूरी फूल फ़िर आए !
तुम्हारे नाम के दोहे तुम्हारी गंध ने गाये !!

काले कोसों दूर तुम मधुरितु की यह रैन !
यहाँ ख़यालों में बसे प्रिया तुम्हारे नैन !!

छत पर गोरी चांदनी फूले दूर पलाश !
तुम बिन सजनी बिपिन - सा लगता यह रनिवास !!

मछली तड़पी ओढ़ कर सुधियों की शैवाल !
देह - प्राण की अगिन का कौन सुने अहवाल !!

रहे अचंचल किस तरह अंतरमन की झील !
दहके दाडिम से अधिक मादक हुई करील !!