शुक्रवार, 26 सितंबर 2008

यादों के सिलसिले...

यादों के सिलसिलों के मुहाने पर अपने होंने का अहसास _ यह अहसास भी अपने आप में अजब-सा अहसास है_अजब -सी दस्तक_ अजब-सा खुमार_कोई नाम है इस अहसास का या सब अनाम है__

नाम_ टिल्लन [ जो कानों ने सुना] जो आंखों ने देखा _ शिव शम्भू दयाल रिछारिया । आसपास जो आबोहवा और खनक थी उसमें _रंग, राग,रस,कवित्त,संगीत और रामलीला का खासा असर था जो अपने ऊपर भी छाता चला गया._जब कारवां आगे बढा तो ये ही सब जीवन के सफर में पतवार बने और जीवन का आधार भी.