मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

बंबई ...सुबह चार बजे !

इलाका भुलेश्वर का ...सुबह से गुलजार...सुबह...यानी चार-सादे-चार बजे ! घड़ी-घंटों और शंख घ्वनि की गूंज...सुबह से बम्बई शुरू...झटके से उठिए वरना नल चला जाएगा ...नल तो वहीं रहेगा पानी चला जाएगा...बिना नहाये मन्दिर मैं गुजारा कैसे !__बंबई मैं तो हर चीज के लिए लाइन लगती है...यह बात समझ में आ चुकी है कि लाइन में लगे बिना यहाँ कुछ भी पाना कितना मुश्किल है...पहला चरण पूरा...दूसरे में हनुमान जी को हाजिरी...अब सवारी सड़क पर है...घंटों की टन-टन और महमहाते फूलों की खुशबू से भरी फूलवाली गली से गुजर गुजर कर अब सवारी सड़क पर है ...खान-पान की दूकानें खुल चुकी हैं...गरमागरम दूध और ताजी जलेबियाँ ...वादा पाव...आलू-पूरी...और तरह-तरह के स्वाद आपकी राह छेंकने की भरपूर कोशिश कर रहे hain ...पर क्या मजाल कि आपका दिल मचल जाए__मंगलवार और शनिवार तो हनुमान जी की कृपा से प्रसाद स्वरूप इतना मिष्ठान मिलता है कि फ़िर मन ही न करे और रोज...आज अभी भी तो हनुमान जी ने प्रसाद में बरफी दी है...हाँ...कुछ फरसाण हो जाए तो बात अलग है __बम्बई में नमकीन-तत्व को फरसाण बोलते हैं__हाँ...हनुमान जी मिठाई तो खिलाते थे पर मेहनत भी करवाते थे__चढावे में जो रुपये-पैसे चढ़ते ...उन्हें ....रूपये-आठ आने-चार आने और दस पैसे ...अलग-अलग करने होते....तो मंगल और शनिवार को कभी कतराते तो कभी अपने को दांव पर लगा ...मुद्रा निस्तारण कार्य सम्पन्न कर हनुमान जी और महंत जी का आर्शीवाद पाते ! __कभी ऐसा भी हुआ कि जब डेढ़ - दो रूपये बचे तो तुरत हनुमान जी को समर्पित कर देते ....इस आगाह के साथ कि अब आप ही सभालना ___और...घंटे-दो-घंटे में ...भाई साहबनुमा कोई ऐसा शख्श आता जो खूब खिलाता-पिलाता ( पिलाता को कुछ और पीना...पिलाना न समझें ) और जाते-जाते तीन बार पूछता ....और सब टीक हैं ना __अगर चेहरे पर जरा भी चाहत दिखाई दी तो __बीस-पचास की प्राप्ती अलग होती थी__तबके बीस रूपये का मतलब समझते हैं आप__तब बस का न्यूनतम टिकट 30 पैसे और लोकल ट्रेन का 25 था__तीन- साढ़े-तीन में बढिया भोजन और इतने मी ही सिनेमा का टिकट...फस्ट क्लास का....लोकल का पास हो और जेब में दो रूपये ....राजाबाबू बन घूमों बम्बई...! तब बीस-पच्चास की वकत hotee thee ....सात सौ तो तनख्वाह थी अपनी तब ... फ़ोर फीगर सैलरी का के सम्मान का ज़माना था ___मैंभी कहाँ चिल्लरों के चक्कर उलझ गया___वैसे खेल तो सब इन्हीं चिल्लरों के लिए हैं ! __बिन चिल्लर सब सून__सोचा था कि आपको आज अपने रास्ते से ....एक्सप्रेस टावर ले चलूँगा ....पर अब आज रहने देते हैं __कल चलिएगा ....थोडा फुर्त्ती से तैयार होइएगा !!!!!