मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009

बसंत के रंग ...!


बसंत के रंग...!


बसंत के रंग ...!


बसंत के रंग ...!


हेलो बसंत ! क्या बात है ?

अखबार में ख़बर है की आप पधारे हैं ...पर न जानें क्यों अब आप के दर्शन दुर्लभ होते जा रहें हैं . वजह क्या हैं आप ही जानें ...पहले तो आप के आने के कई संकेत बड़े सुहाने थे __मोहल्ले - पडोस की किशोरियों के इठलाने , मौसम के महमहाने ,फूलों के रंग निखर जाने , जवानों के कसमसाने और बुढऊ मन के गाने से लगने लगता था कि लगता है बसंत आ गया ...और रही सही कसर भौजाइयों के टिहुनियाने और पिछवाडे अमराइयों से मादक गंद आने से पूरी हो जाती ....अंगडाइयां टूटती , हवाए मदमाती , पलास दहकते....चारो तरफ़ आप का जय...जयकार हो जाता __क्या बात है ठिठक आते हो और दुम दबा कर खिसक जाते हो ....क्या बात है ?