गुरुवार, 25 सितंबर 2008

चित्रकूट घाट पर...

चित्रकूट के घाट पर इन दिनों संतों के मेलों और संगतों के आलावा रामलीलाओं की भी खासी धूम मची है .देश _खासकर उत्तर भारत मैं इन दिनों पितृ-पक्ष के उतरते-उतरते रामलीलाओं का शुभारम्भ हो जाता है._मेरे लिए ये दौर यादों का ज्वार लेकर आता है._जबसे कुछ भी याद है तो याद के रूप जो पहली याद है वो है रामलीला के शुरूआती दिन_ताडका-बध के लिए मुनि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम और लक्ष्मन को मँगाने आए हैं और दशरथ मना कर रहे हैं_
--मांगिये मुनिराज यज्ञ रक्षा के काज
चाहे सेना गज बाज चाहे धन धाम को
खाडे शमशीर वीर बांके रणवीर धीर
योधा सुगम्भीर खल दल के संग्राम को
आप से दयानिधान इतना ही मांगता हूँ

मांगो जो हो मांगना पर न मांगो रामचंद्र को
दशकों पहले की ये बातें आज भी बीते कल तरह ताजा हैं और ताजा हैं वो सारे दृश्य और वे अनुभूतियाँ जो मेरी अपनी जिन्दगी के सफर का आगाज बने.