गुरुवार, 11 दिसंबर 2008
बॉम्बे की बात ही अलग है !
बम्बई में अगर रहने का ठिकाना आराम से मिल जाए और यहाँ की तेज रफ़्तार जिंदगी में दिल रम जाए तो इससे बढ़िया और कोई शहर नहीं . तो ठिकाना तो मिल गया और दिल भी रम गया __दिल तो पहले से ही रमा था इस शहर के साथ __कभी सपनों में तिरता था यह शहर...मेरे दिलफरेब उस्ताद ने इस शहर की जो तस्वीर मेरे दिल - दिमाग में उतार रखी थी उसके मुताबिक ...बम्बई की सड़कें...क्या बात हैं__इतनी चिकनी कि यहाँ थूंको...तो मीलों फिसलता चला जाए...और इमारतें इतनी ऊँची कि __लोग ऊपरी मंजिल पर खड़े हो कर सूरज से सिगरेट जला लेते हैं ...बॉम्बे की बात ही अलग हैं ...दलीप कुमार , मीना कुमारी , पिरान ,जानीवाकर ,धरमिंदर ,महमूद ...एक - से एक बड़ा एक्टर ...अजब -गजब का खेल करतब ...जीवन का मेला है...क्या गजब का खेला है ...!__बम्बई का यह रूपक मेरे जहन में बचपन से चस्पा था ...यह रंग भरा था उस्त्त्द खलीफा ने __ये जनाब टेलर मास्टर थे और कर्वी (चित्रकूट) में हमारे घर के बाहरी हिस्से के एक कमरे में अपनी दूकान चलाते थे...जनाब पक्के जुमालेबाज थे और दुनियादारी के हर इल्म में माहिर...क्या मजाल कि आप उन्हें किसी मामले पर शिकस्त दें पायें...एक वाकिया है __राष्ट्रपति जाकिर हुशैन के इंतकाल की ख़बर ट्रांजिस्टर पर आ रही थी...'क्या हुआ ...क्या ख़बर है...'.... मैनें कहा __डॉ जाकिर हुशैन साहब का इंतकाल हो गया हैं ! '.....हाँ....यार बड़ा उम्दा डौक्टर था....' मैंने कहा ....खलीफा ....वो इंजेक्शन - आपरेशन वाले डौक्टर नहीं थे !'....अमां यार तुम कल - कल के लड़के क्या जानों ...बड़ा उम्दा डौक्टर था ...! '....अपने तर्क की मजबूती के लिए खलीफा ने कम-से-कम अपने आधा दर्जन रिश्तेदारों के नाम मय शहर और पूरे पते सहित गिना दिए.__इस बात पर मैंने उस दौरान __सबसे बड़ा तर्क__शीषर्क से लघुकथा लिखी थी !....बहरहाल ....बॉम्बे ...दिलकश है....लाजवाब है !
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