मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009

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शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

जीने के कुछ और बहाने खोज !

ये सब मुसाफिर हैं !

मौसम कुनकुना है ...दरख्तों पर कोंपलें फूट रहीं हैं , धूप चटख और हवाएं कभी खुश्क तो कभी नरम-नरम . प्रकृति रंग बदल रही है __ऐसा ही बदलाव कुछ अंतर मेंभी हो रहा है__ वैसे आज के इस दौर में इस तरह के बदलावों के कुछ मायनें होते नहीं हैं __पता नहीं किस दौर के आदमी हैं आप ! अपनें इर्द -गिर्द देखिये बहुत तो सर पर पैर धरे और कोई तो किसी और के सर पर पैर धरे भाग रहा है __

भगा जा रहा हूँ
भगा जा रहा हूँ
नहीं जानता हूँ ...
कहाँ जा रहा हूँ !

अपनीं रौ है ...
और अपना रास्ता
औरों से अपना क्या वास्ता !!

जीवन के सफ़र में वफ़ा और वेवफा दोनों तरह के मुसाफिर मिलेंगे __जनाब जब जानते हैं कि ....ये सब मुसाफिर हैं और ...आलय हो या कार्यालय ...मुसाफिरखाना हैं ...तो फिर इनसे राग और अनुराग कैसा !__बस उतना ही उपकार समझ ले जो जितना साथ निभा दे !! मन को साकार खूंटे से खोलकर निराकार के खूटें से बांधें ....वैसे बहुत बेहतर है ' मन को पिंजडे में न डालें और मन का कहना भी न टालें !

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

बुधवार, 1 अप्रैल 2009

जय हो ! आपका जन्म - दिन मुबारक हो ! !

मूर्खों का जागरण - दिवस !

जैसा की आप सब सुधी जन जानते हैं की आज मूर्खों के जागने का दिन है ! सार भर तक सोये या सोये - सोये रहने वाले मूर्ख आज विशेष लहक में रहते हैं...और कुछ विशेष तरह से अपने आसपास के लोगों चौकाने का प्रयास करते हैं .__उनके बालसुलभ उपक्रम का शिकार अगर आप होते हैं तो ... आज उनके साथ प्रेमवत व्यवहार ही करें ...क्योंकि कल फ़िर आपको इन्हीं से मुखातिब होना है । __दरअसल ये हर दिन अपना जन्म - दिन मनाते हैं ...पर आज एक अप्ररिल को विशेष जोश में रहते हैं । ...ऐसे नित - नित जन्मा लोगों को प्रणाम कर किनारे हो लें । __अपना दिल और दिमाग क्रुध्द न करें __

संतों ने ऐसों के लिए ही तो कहा है __

इन्हें न व्यापे जगत गति

ये मूढन के मूढ़ !

बुधवार, 25 मार्च 2009

गुरुवार, 12 मार्च 2009

...और तुम्हारा संग ! _टिल्लन रिछारिया






















फागुन की यह पूर्णिमा और तुम्हारा संग !
बिना डोर मन उड़ रहा जैसे कोई पतंग !!

अधिक देर सुलगे नहीं दहके हुए गुलाब !
जाने फ़िर कब थम सका मधुगंधित सैलाब !!

रंगों का तूफ़ान है गोरे गाल गुलाल !
भौचक्की तू क्यों खड़ी गुलमोहर की डाल !!

जाने दे फ़िर आयेगी होली अगले साल !
अपने मन का कर लियो तू भी मेरा हाल !!

बुधवार, 11 मार्च 2009

तुम्हारे नाम के दोहे ....! _टिल्लन रिछारिया


गुलमुहर की डाल पर सिंदूरी फूल फ़िर आए !
तुम्हारे नाम के दोहे तुम्हारी गंध ने गाये !!

काले कोसों दूर तुम मधुरितु की यह रैन !
यहाँ ख़यालों में बसे प्रिया तुम्हारे नैन !!

छत पर गोरी चांदनी फूले दूर पलाश !
तुम बिन सजनी बिपिन - सा लगता यह रनिवास !!

मछली तड़पी ओढ़ कर सुधियों की शैवाल !
देह - प्राण की अगिन का कौन सुने अहवाल !!

रहे अचंचल किस तरह अंतरमन की झील !
दहके दाडिम से अधिक मादक हुई करील !!

मंगलवार, 10 मार्च 2009

रंग - रास


सोमवार, 9 मार्च 2009

रंग-ओ-गुलाल

होली आने को है !

बेरंग जिन्दगी में बहार आने को है !
जनाब एक दो दिन में होली आने को है !!

कोई कितना भी उदास हो ले और मायूसी की चादर तान ले ...गुलाल-अबीर के तूफ़ान से बच नहीं पायेगा !__बचने के फेर में और पकड़ा जायेगा । आप साहस के साथ रंगों-गुलाल के हमले के लिए तैयार रहें__रंग आपके जीवन में निखार लायेंगे , रस और मस्ती का संचार करेंगे ...और आप मस्त हो जायेंगे ! कतराना - घबराना कैसा ....!

रविवार, 22 फ़रवरी 2009

शनिवार, 21 फ़रवरी 2009

सोमवार, 16 फ़रवरी 2009

मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009

बसंत के रंग ...!


बसंत के रंग...!


बसंत के रंग ...!


बसंत के रंग ...!


हेलो बसंत ! क्या बात है ?

अखबार में ख़बर है की आप पधारे हैं ...पर न जानें क्यों अब आप के दर्शन दुर्लभ होते जा रहें हैं . वजह क्या हैं आप ही जानें ...पहले तो आप के आने के कई संकेत बड़े सुहाने थे __मोहल्ले - पडोस की किशोरियों के इठलाने , मौसम के महमहाने ,फूलों के रंग निखर जाने , जवानों के कसमसाने और बुढऊ मन के गाने से लगने लगता था कि लगता है बसंत आ गया ...और रही सही कसर भौजाइयों के टिहुनियाने और पिछवाडे अमराइयों से मादक गंद आने से पूरी हो जाती ....अंगडाइयां टूटती , हवाए मदमाती , पलास दहकते....चारो तरफ़ आप का जय...जयकार हो जाता __क्या बात है ठिठक आते हो और दुम दबा कर खिसक जाते हो ....क्या बात है ?

बुधवार, 21 जनवरी 2009

मंगलवार, 20 जनवरी 2009

अब क्या करेंगें जनाब !

ओबामा_२० जनवरी २००९ की तारीख आख़िर ओ-बा-मा को उस मुकाम तक ले आयी जिसका सपना कभी उनकी नस्ल के पूर्वजों ने देखा था _आज पूरी दुनिया ने देखा उस सपने को साकार होते हुए _अब यह सब किस्से-कहानियों में गुजर जायेगा ...एक ' ब्लैक ' का ' व्हाइट ' तक आ जाना ...देश - दुनिया के दिलो - दिमाग पर छा जाना ...रॉक धुनों पर पसर जाना ...चुटकुला बन मुस्कुराहटें उगा जाना ...नयी तस्वीर के लिए रंग - कैनवास जुटा लाना ......उमीदों का पुल जो बना है उसे अंजाम की हकीकत का बेसब्री से इन्जार है !

चुनौती !


उम्मीद...!


सोमवार, 5 जनवरी 2009

कोहरे की गिरफ्त !


लपेटे शाल कोहरे का...!

सुबह और शाम कोहरे का आलम है ...जन - जीवन , रहन - सहन , खान - पान ...सब बदला - बदला सा है _अजब - सी खुमारी है...अजब सा हाल है दिल - दिमाग का _

लपेटे शाल कोहरे का
दुबक कर सो रहा आकाश !

सातवें दशक के शुरुआती साल ... 'कादम्बिनी 'में प्रकाशित हुई थी यह कविता !... ' कादम्बिनी 'क्या !

एक जमाने में कोहरे को लेकर ये लाइनें _

मत कहो आकाश में कोहरा घना है !
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है !!

...भी खासी जुबान पर चढीं रहीं...और तरह - तरह लहजे और अर्थ देतीं रहीं _दुष्यंत कुमार का काव्य नए मुहावरे ढाल रहा था अपने दौर में ... !

अखबारों ...समाचारों ...में कोहरा सुर्खियों में है _एक वृतांत _

आइटीओ...बहादुरशाह जफ़र मार्ग ...ढल रही सांझ कोहरे से भर रही थी __आज तो कोई ख़बर हाथ नहीं लगी !...१९९० से पहले का दौर था ...वीपी सिंह की सरकार थी...चंद्रशेखर जी दाढी खुजला रहे थे ...! __मैनें रिपोर्टर से कहा _'पागल हो क्या ...जाओ बाहर सड़क की तरफ़ मुंह करके पांच मिनट खड़े रहो...थोडा दांयें - बांये भी मुंह घुमा लेना । '

लौटा तो _' बड़ा घना कोहरा है ...कुछ समझ नहीं आरहा ...तिलक ब्रिज दिख नहीं रहा ...दांयें ...इंडियन एक्सप्रेस ...धुंधले में हल्का सा लुपलुपा रहा है....'

बस्स ! इसी को लिख दो __वीपी सिंह ...देवीलाल ....चंद्रशेखर ...अरुण शौरी ...राजीव गाँधी ...आडवानी के नाम बीच - बीच में जोड़ते जाना !

'वीर अर्जुन ' की 'एंकर - स्टोरी ' बन गयी __हेडिंग बनी __उफ़ ...! ये घना कोहरा ! !

जिंदगी के रंग !