सोमवार, 8 दिसंबर 2008

मन्दिर में रहना...यानी आधी सधुक्कड़ी !

खूबसूरत ठिकाना मिला __ग्राउंड फ्लौर पर __हनुमान जी बिराजे थे__फस्ट फ्लौर पर __महंत जी की बैठक __सेकेण्ड फ्लौर पर __साधू - संतों का डेरा __ थर्ड फ्लौर पर हम लोग ...दरअसल यह जगह उन छात्रों के लिए सुरक्षित थी जो बाहर से यहाँ पढ़ने आते थे ...जहाँ हमें ठिकाना मिल गया है.__आते-जाते हनुमान जी की नजर ( हालांकि वो सर्वज्ञ हैं ) बच बचा लिए तो महंत जी ...'कबी आया ...किधर था ' फ़िर संगी-साथियों को जवाबदेही __'कहीं भी जाने का ...बता कर जाने का ....कबी आयेगा बराबर बताने का ....कुछ माँगता ...बताने का....जास्ती परेसान होने का नई ...'मन्दिर का रहना...यानी आधी सधुक्कड़ी__नहाना तो रोज पडेगा__देर तक सोने का सवाल ही नहीं ...सुबह चार - साढ़े - चार से चारों और घंटों और शंख बजाने की आवाजें...फ़िर हनुमान को हाजरी भी तो देनी है . कुल मिलाकर मन्दिर में रहने का अनुशासन...एक अलग तरह का आनंद !