रविवार, 21 दिसंबर 2008

अमिताभ जी !

December 21st, 2008 at 2:42 pm

अमिताभ जी !
आज आप स्मृतियों में बहुत गहरे ‘ माता जी ‘ के पास होंगे __यों तो हर दिन उनकी यादों के बिना नहीं बीतता होगा …पर आज यादें कुछ ज्यादा ही घनीभूत होंगी __आज सुबह अखबारों में ‘ तस्वीर ‘ देखी तो स्मृतियाँ कौंध गयीं __जब कर्वी ( चित्रकूट ) में रहते थे तो अक्सर सुनते थे कि…तेजी जी आयीं थीं …चित्रकूट…जानकीकुंड में …पंजाबी बाबा के यहाँ गयीं .__बांदा…के नाते आप और आपके परिवार से यह इलाका सहज अपनापा मानता है __बच्चन जी से बांदा में एक - दो मुलाकातें याद हैं __तब …१९७१-७२ में ग़ेजुएशन के दौरान बच्चन जी के दशर्न प्राप्त हुए

__कविता प्रतियोगिता में अपने को भी बच्चन जी से पुरस्कार मिला __कविता की किताब थी ...बाद में और प्रत्याशी किताब में उनके आटोग्राफ लेने लगे …दोस्तों ने मुझे भी कहा __मैंने कहा…’ मैनें स्मृतियों में आटोग्राफ ले लिया है ! ‘ बांदा में अक्सर केदार बाबू ( केदारनाथ अग्रवाल ) के सौजन्य से बच्चन जी के सहज …अति सहज रूप के दशर्न मिलते रहे …छवियाँ स्मृतियों में दर्ज होती रहीं ….जो अभी भी कल की बातें लगतीं हैं __तेजी जी को सीधे - सीधे कहाँ देखा …याद नहीं ….हो सकता है कि ना भी देखा हो और स्मृतियों के विम्ब इतने सघन हों कि यथार्थ को भी मात दे रहें हों !

__अमित जी ये ही स्मृतियाँ सत्य हैं …शेष सब निस्सार है __राम - कृष्ण - सीता - मीरा को न हमने देखा न आपने …सिर्फ़ स्मृतियों का पुल ही तो है जो हमें उनसे जोड़ता है …अविभाज्य बनाता है ! बच्चन जी …तेजी जी …सांसारिक रूप से बेशक अमिताभ बच्चन के माता - पिता हैं ….पर स्मृतियों के लोक में किसके क्या - क्या नहीं !

__आपको रेडियो में दिया अपना एक इन्टरव्यू याद होगा जिसमें आपने जिक्र किया था किहो सकता है कि यथार्थ में आप अपने पिताश्री की मृत्यु पर …न रो पाऊं ….क्योंकि वह आप कहीं व्यक्त कर चुके हैं …. पूरा इन्टरव्यू अभी भी मुझे याद है !

__समय के प्रवाह में स्थूल तो बह जाता है…सत्व ….स्मृतियों में हमेशा अमर रहता है !

__ आज न जाने क्यों….आपसे अपनापा फूट रहा है….मिले …एक या दो बार __ वीर अर्जुन के ….अनिल नरेंद्र की बेटी के शादी में….सन…रहा होगा…१९९३-९४ ….तब आपसे गपशप भी हुयी थी , बेटी श्वेता भी थी आपके saath ….बम्बई में तो आपके घर…प्रती क्षा के सामने से अक्सर गुजरते थे …जुहू जाते समय …एक बार घर भी गए थे….डॉ रामकुमार वर्मा का पत्र लेकर …जाया जी मिलीं __तब मैं __धर्मयुग में तह…१९८०से ८७ तक बम्बई रहा….हिन्दी एक्सप्रेस (शरद जोशी ) करंट ( डॉ.महावीर अधिकारी)…आपको जब कुली का दौरान जब चोट लगी तो करंट में
था …धर्मयुग में भारती जी के साथ का साल था __१९८४-८५ …!

__परिवार में सभी को यथायोग्य !

सादर __टिल्लन रिछारिया !

1 टिप्पणी:

Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

पात्र तो बड़ा ही संस्मरणात्मक मालूम पड़ता है |
अच्छी रचना |
धन्यवाद |