रविवार, 7 दिसंबर 2008
बम्बई ! सात दिसम्बर 1980
सात दिसम्बर १९८० __२८ साल पहले आज के ही दिन… आज की मुम्बई ….और तब की … बंबई की दहलीज को स्पर्श किया था .नरीमन पॉइंट का ‘एक्सप्रेस टावर’ बना था नौकरी का ठिकाना और शुरुआती कुछ दिन ‘कल्याण’ से आना-जाना रहा…बाद में…कालबा देवी मन्दिर इलाके में ‘भूलेश्वर के पंचमुखी हनुमान मन्दिर’ में रहने का ठिकाना जम गया. यह मन्दिर फूलवाली गली के ठीक बगल में है.__यह सब अपने सर्व साधक ‘चित्रकूट’ नाम के विजिटिंग कार्ड का असर था. इससे सौभाग्यशाली विजिटिंग कार्ड मुझे अब तक नसीब हुआ . …एक्सप्रेस टावर के दूसरे माले से समंदर की लहरें गिनते-गिनते एक दिन ख़याल आया कि…चित्रकूट वाले सत्यनारायण शर्मा जी अक्सर चर्चा करते हैं __हमारे एक मामा वहाँ हैं…एक वहाँ …और एक भूलेश्वर के पंचमुखी हनुमान मन्दिर के महंत !…कहाँ है यह मन्दिर…खोजबीन की और पता करते-करते शाम को हनुमान जी को प्रणाम कर … महंत जी का ठिकाना पता कर… सहमते-सहमते चढने लगे सीढियां __सामने बुजुर्ग …. ‘मुझे सत्य…नारायण…मैं…चित्रकूट…से आया …’__कौन सत्य नारायण…मैं चित्रकूट को जानता हूँ आइये ‘….प्रणाम कर बैठा …आने का सन्दर्भ और कारण बताया ….जिस सहजता और आत्मीयता से महंत जी ने आश्रय और सत्कार दिया वह इस महानगर में मेरे लिए बड़ा संबल बना.
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