गुलमुहर की डाल पर सिंदूरी फूल फ़िर आए !
तुम्हारे नाम के दोहे तुम्हारी गंध ने गाये !!
काले कोसों दूर तुम मधुरितु की यह रैन !
यहाँ ख़यालों में बसे प्रिया तुम्हारे नैन !!
छत पर गोरी चांदनी फूले दूर पलाश !
तुम बिन सजनी बिपिन - सा लगता यह रनिवास !!
मछली तड़पी ओढ़ कर सुधियों की शैवाल !
देह - प्राण की अगिन का कौन सुने अहवाल !!
रहे अचंचल किस तरह अंतरमन की झील !
दहके दाडिम से अधिक मादक हुई करील !!
3 टिप्पणियां:
गुलमुहर की डाल पर सिंदूरी फूल फ़िर आए !
तुम्हारे नाम के दोहे तुम्हारी गंध ने गाये !!
bahut khub
बढ़िया...
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं
बहुत सुंदर लिखा ... बधाई।
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