बुधवार, 25 मार्च 2009
गुरुवार, 12 मार्च 2009
...और तुम्हारा संग ! _टिल्लन रिछारिया
बुधवार, 11 मार्च 2009
तुम्हारे नाम के दोहे ....! _टिल्लन रिछारिया
गुलमुहर की डाल पर सिंदूरी फूल फ़िर आए !
तुम्हारे नाम के दोहे तुम्हारी गंध ने गाये !!
काले कोसों दूर तुम मधुरितु की यह रैन !
यहाँ ख़यालों में बसे प्रिया तुम्हारे नैन !!
छत पर गोरी चांदनी फूले दूर पलाश !
तुम बिन सजनी बिपिन - सा लगता यह रनिवास !!
मछली तड़पी ओढ़ कर सुधियों की शैवाल !
देह - प्राण की अगिन का कौन सुने अहवाल !!
रहे अचंचल किस तरह अंतरमन की झील !
दहके दाडिम से अधिक मादक हुई करील !!
मंगलवार, 10 मार्च 2009
सोमवार, 9 मार्च 2009
होली आने को है !
बेरंग जिन्दगी में बहार आने को है !
जनाब एक दो दिन में होली आने को है !!
कोई कितना भी उदास हो ले और मायूसी की चादर तान ले ...गुलाल-अबीर के तूफ़ान से बच नहीं पायेगा !__बचने के फेर में और पकड़ा जायेगा । आप साहस के साथ रंगों-गुलाल के हमले के लिए तैयार रहें__रंग आपके जीवन में निखार लायेंगे , रस और मस्ती का संचार करेंगे ...और आप मस्त हो जायेंगे ! कतराना - घबराना कैसा ....!
जनाब एक दो दिन में होली आने को है !!
कोई कितना भी उदास हो ले और मायूसी की चादर तान ले ...गुलाल-अबीर के तूफ़ान से बच नहीं पायेगा !__बचने के फेर में और पकड़ा जायेगा । आप साहस के साथ रंगों-गुलाल के हमले के लिए तैयार रहें__रंग आपके जीवन में निखार लायेंगे , रस और मस्ती का संचार करेंगे ...और आप मस्त हो जायेंगे ! कतराना - घबराना कैसा ....!
सदस्यता लें
संदेश (Atom)